क्षेत्रीय
07-Sep-2020

कोरोना वायरस से अधिक छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में लापरवाही और मनमानी का कहर है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि कोरोना पाजिटिव होने वाला व्यक्ति अस्पताल जाकर लौटेगा भी नहीं। जिला अस्पताल का उपचार और प्रशासन की निगरानी अब संदेह के घेरे में आ गई है। अक्सर रात इन मरीजों का काल बनकर आ रही है। कोविड 19 से किसी की मौत न हो, शनिवार को संभागायुक्त महेशचंद्र चौधरी द्वारा पढ़ाया गया यह पाठ एक ही दिन में मेडिकल आफिसर भूल गए। दिन में जब संभागायुक्त मेडिकल फेसिलिटी पर चर्चा-बैठक कर रहे थे। उसी रात जिला अस्पताल में एक कोरोना पॉजिटिव महिला की पानी मांगते मांगते मौत हो गई और अस्पताल प्रबंधन गहरीं नींद में सोता रहा। हडक़ंप तो तब मच गया जब उस महिला की जागरूक बेटी ने वीडियो वायरल कर अस्पताल की कुव्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। वीडियो बनाकर सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था को उजागर करते हुए मृतक महिला की बेटी ने आरोप लगाया कि उसकी मां ने सिर्फ इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि उसे किसी ने पीने के लिए पानी तक नहीं दिया। अपनी मां को प्रबंधन की लापरवाही से खो चुकी कोरोना वार्ड में ही भर्ती महिला एएसआई ने वीडियों बनाकर वायरल करते हुए इलाज से लेकर, खाने पीने की व्यवस्थाओं तक मे सवाल खड़े कर दिए। जिसमें वेंटिलेटर के निकले पाइप तक को लगाने के लिए कोताही बरती गई। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद छिंदवाड़ा की सियासत तेज हो गई. छिंदवाड़ा के कांग्रेस विधायक सुनील उइके और नीलेश उइके सहित कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया और पुलिस को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया. अस्पताल में कोरोना मरीजों से डाक्टर सहित मेडिकल कर्मी दूरी बनाकर रखते हैं। जिसका नतीजा है कि 30 अगस्त से 6 सितंबर तक जिले में 83 नए पॉजिटिव मिले। जबकि 5 दिनों में यानी 1 सितंबर से 5 सितंबर तक 16 की मौत हो गई और 96 लोगो को इलाज के बाद छुट्टी दी गई । लेकिन सबसे बड़ी बात यही है कि कैसे इन लापरवाही पर प्रशासन की निगाह नहीं है । मेडिकल कॉलेज के डीन, एसडीएम, सिविल सर्जन, सीएमएचओ, कोविड नोडल अधिकारी सहित सारा स्टाफ कहीं न कहीं कई सवालों के घेरे में हैं।


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