क्षेत्रीय
08-Jul-2023

#balaghatnews #mpeducationnews #mpnews जहां मध्यप्रदेश और भारत सरकार बच्चों के उज्जवल भविष्य बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की लिए हर संभव प्रयासरत है. लेकिन सरकार की योजना और प्रयास जमीनी स्तर पर एक घोषणा मात्र बनते नजर आती है. ऐसा ही एक मामला बालाघाट जिले में स्थित शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय किरनापुर का आया है जहां पर लगभग 6 वर्ष पूर्व से ही सरकार द्वारा ग्रामीण गरीब स्कूली छात्र छात्राओं के लिए कक्षा छठवीं से आठवीं एवं कक्षा नौवीं से बारहवीं तक इंग्लिश मीडियम से शिक्षा देने हेतु कक्षाएं प्रारंभ किया गया है. वही क्षेत्र में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलने से गरीब पालको और गरीब बच्चों के मन में खुशी भी जाहिर हुई उन्हें ऐसा लगा कि अब हम बच्चों को प्राइवेट स्कूल की महंगी शिक्षा से दूर कर सरकारी स्कूल में पढ़ा पाएंगे और ऐसा ही हुआ क्षेत्र की छात्र छात्राओं ने उम्मीद से बढ़कर प्रवेश लिया। किंतु वही शासन प्रशासन की लचर व्यवस्था के चलते वर्तमान दिनांक तक भी सभी विषय के इंग्लिश मीडियम शिक्षकों के द्वारा अध्ययन न करवाये जाने के कारण स्कूल प्राचार्य के द्वारा हिंदी मीडियम की ही टीचर से खानापूर्ति किया जा रहा है। क्या यह गरीब बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है? वही छात्र-छात्राओं द्वारा बताया गया कि हिंदी के शिक्षकों के द्वारा अंग्रेजी पुस्तकों को पढ़ाने में हम छात्र छात्राओं को पूर्णतः ना ही समझ आता है ना ही परीक्षाओं में अच्छे अंक ले पा रहे है. 12वीं कक्षा बोर्ड मानी जाती है और ऐसी स्थिति में यदि अंग्रेजी शिक्षक नहीं आते तो हमारी परीक्षा में हमारे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं आ पाएंगे.हमारे माता-पिता गरीब होने के कारण प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं भर पा रहे हैं ऐसी स्थिति में अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों का होना हमारे भविष्य के लिए उचित होगा.


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