छिन्दवाड़ा जिला मुख्यालय से लगे सावलेवाड़ी में एक किसान ने दो बेटों को बैल बनाकर खेत में जोत दिया। पिता ने हल की मुठ्ठी पकड़ी, बेटे बैल बनकर खेत में चल पड़े। मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। वहां पर मामला कुछ और ही निकला। किसान को सामाजिक सुरक्षा पेंशन भी मिलती है। खेत में भिंडी की फसल लगी थीं,जिसे बचाने के लिए किसान ने दो बेटों को हल में जोत दिया। किसान का कहना है बैल के पैरों में अंकुरित फ़सल बर्बाद हो जाती। अगर वह ऐसा नहीं करता तो मजदूरों से गुड़ाई करनी पड़ती। उसके लिए पैसा नहीं था। कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने भी मामले को भ्रामक बताया है उन्होने मीडिया को बताया कि जिले के किसान पुत्रों द्वारा खेत में हल जोतने की खबर पूर्णतः निराधार और असत्य है। कृषि विभाग की टीम ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने पर पाया कि किसान के पास ढाई एकड़ सिंचित जमीन, पक्का मकान, सिंचाई के लिए कुंआ पंप और दो स्वस्थ बैल उपलब्ध हैं। वह खरपतवार हटाने के लिए डोरा नामक उपकरण का प्रयोग कर रहा था, जिसे केवल हाथ से ही चलाया जा सकता है।