अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हाथों मौत होने के बाद से अमेरिका के विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन जारी है। जॉर्ज फ्लायड की हत्या के बाद अमेरिका का अश्वेत समुदाय, श्वेत समुदाय और बेरोजगार हुए हजारों युवा सड़कों पर उतर आए है. इस दौरान कुछ स्थानों पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन हुए, वहीं अधिकांश स्थानों पर भीड़ ने हिंसक प्रदर्शन के साथ आगजनी और लूटपाट की. कहा जा रहा है कि यह साल 1968 में अमेरिका के क्रांतिकारी नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद अब तक के सबसे बड़े दंगे हैं. अमेरिका में पहली बार, लाखों की संख्या में सभी समुदाय ट्रंप सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. जिसको लेकर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उग्र प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए सेना को उतारने की चेतावनी भी दी है। अमेरिका में प्रदर्शन इतना उग्र हो गया है, कि प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस तक में घुस गए और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ह्वाइट हाउस के बंकर में शरण लेनी पड़ी । प्रदर्शनकारियों में अश्वेत के साथ-साथ बड़ी तादाद श्वेत अमेरिकी भी है। और बड़ी संख्या में बेरोजगार और छात्र भी शामिल हैं। वहीं, ह्यूस्टन के पुलिस प्रमुख आर्ट अक्वेडो ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चुप रहने की नसीहत तक दे दी है। यह प्रदर्शन केवल एक हत्या के खिलाफ ना होकर सिस्टम के खिलाफ लोगो को गुस्सा है । अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन बेरोजगारी मंदी स्वास्थ्य सेवाओं की विफलता और शासन तंत्र द्वारा आम लोगों के मुद्दों की उदासीनता के कारण उग्र हो गए हैं। अमेरिका में होने वाले चुनाव के 4 महीने पहले उग्र प्रदर्शन ने राष्ट्रपति ट्रंप की नींद उड़ा दी हैं वही सारी दुनिया में पहली बार वर्ग भेद से हटकर सभी समुदाय के लोग एक साथ आकर आंदोलन में एकजुट होकर जो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है वो अमीर और गरीब की लड़ाई के रूप में भी दिख रही है। प्रदर्शन के दौरान जिस तरह से प्रदर्शनकारियों ने जगह - जगह सामान लूटा है यह अमेरिका के अभी तक के प्रदर्शनों से हटकर है। बेरोजगारी और गरीबी के कारण अब अमेरिका में सामूहिक लूटमार शुरू हो गई है। यह दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति भी अपने ही व्हाइट हाउस में सुरक्षित नहीं है ।