कांग्रेस से बागी पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंस गए हैं। भाजपा के पिजड़े में कैद होकर अब उनके पास सिवाय फड़फड़ाने के और कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों का विधानसभा से इस्तीफा कराकर और उन्हें भाजपा में शामिल कराकर स्वयं के पैर में जो कुल्हाड़ी मारी थी। उसका दर्द अब उन्हें महसूस हो रहा है। भाजपा ने कमलनाथ की सरकार को गिराने के लिए सिंधिया और उनके समर्थकों की जो बारात थी। उसकी खूब आवभगत की। उन्हें पर्याप्त दहेज भी दिया। समर्थको को सत्ता में सहभागिता और स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा का चुनाव जिताकर केंद्रीय मंत्री बनाने का जो भरोसा दिलाया था। उसमें महाराज और उनके समर्थक भाजपा के बिछाए हुए चक्रव्यूह में आसानी से फंस गए। भाजपा ने महाराज और उनके समर्थकों की आंखों में सत्ता सुंदरी और वैभव की जो पट्टी बांधी थी। अब उसकी हकीकत सामने आ गई ई। सिंधिया महाराज और उनके समर्थकों को अपनी गलती का अब एहसास हो रहा है।ज्योतिरादित्य सिंधिया जो तेवर कांग्रेस में रहकर दिखाते थे। भाजपा नेताओं के सामने उनके इस तेवर पर कोई असर नहीं हो रहा है। सरकार गिरने और सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे देने के बाद सिंधिया के पास अब तुरुप का कोई पत्ता शेष नहीं बचा है। ऐसी स्थिति में वह राज्यसभा सदस्य बनने और केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के रहमों करम पर हैं। अब सिंधिया भाजपा छोड़कर कहीं भी नहीं जा सकते हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार छः महीने के अंदर उपचुनाव होंगे। ग्वालियर, चंबल संभाग में भाजपा पहले से ही काफी मजबूत है । ऐसी स्थिति में यदि महाराज नाराज भी हो जाते हैं। तो भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा। उल्टे सिंधिया और उनके समर्थकों की नाराजी से भाजपा को फायदा ही होगा मध्यप्रदेश में सरकार बने हुए लगभग एक माह हो चौका है l वर्तमान स्थिति में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके इस्तीफा देने वाले समर्थक विधायक पिजड़े में कैद होकर रह गए हैं। पिंजड़े में फड़फड़ाने के अलावा अब उनके पास कोई अन्य विकल्प पर भी नहीं रहा है। भाजपा सूत्रों की माने तो सिंधिया जिस तरह से भाजपा में अपना वर्चस्व बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वह भाजपा में संभव नहीं है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के तौर तरीके सीखने होंगे। पार्टी के अनुशासन मे रहना होगा। तभी भाजपा में वह आगे की राजनीति कर सकते हैं।