मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा ग्रामीण इलाकों के शासकीय अस्पतालों में ग्रामीण जनों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ बेहतर अस्पताल प्रदान करने के लिए कायाकल्प योजनाओं के तहत लाखों रुपए राशि का वितरण किया गया. किन्तु जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया जा रहा है. ऐसा ही मामला बालाघाट जिले के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किरनापुर के उप स्वास्थ्य केंद्र माटे का मामला प्रकाश में आया जब मीडिया टीम के द्वारा ग्राम पंचायत माटे के सरपंच प्रतिनिधि और पूर्व सरपंच देवराम पांचे की उपस्थिति में यह सब देखा गया. जहां सरपंच प्रतिनिधि के द्वारा निरीक्षण करने पर पाया गया कि रात्रि कालीन बिजली गुल हो जाने के बाद इनवर्टर नहीं होने के कारण समुचित प्रकाश व्यवस्था नहीं है . जिसके कारण रात्रि कालीन आए मरीजों एवं प्रसूति महिलाओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. साथ ही वर्षा काल का समय है जहरीले जीव जंतु का विचरण होते रहता है. मरीजों एवं आए हुए परिजनों को रात्रि कालीन में बिजली गुल होने पर भय भी बना होता है वही एक ही नर्सिंग ऑफिसर पदस्थ है 24घंटो में कभी भी महीला प्रसव हेतु नर्सिंग ऑफिसर का होना अनिवार्य है. यहा एएनएम कर्मचारीयो की उपस्थिति में प्रसव कराया जा रहा है. गर्मी के चार माह बीतने के बाद भी परिसर में हवा हेतू पंखे नही है ग्रामीणों की आवा जाही के हिसाब से छोटा वाटर कूलर लगाया गया है. अस्पताल परिसर के बाहर बना शौचालय पूर्णता क्षतिग्रस्त हो चुका है वही कर्मचारी कॉलोनी की मरम्मत नहीं होने के कारण खंडहर में तब्दील हो गई है. जिसके कारण कर्मचारी स्टाफ को रहने में भारी मुश्किलें होती है. वही गर्मी के 4 माह बीत जाने के बाद भी मरीजों परिजनों के लिए पर्याप्त हवा हेतू परिसर में पंखे नही दिखाई दे रहें हैं. बनाए गए औषधि बगीचा का मेंटनस नही होने के कारण अस्त व्यस्त नज़र आ रहा है. बल्कि ग्राम पंचायत के द्वारा गंदगी कचरा बिखरा पड़ा न रहें इसलिए रखरखाव हेतु डस्ट बिन भी लगा दिया गया हैं.