1 वन विभाग द्वारा पेड़ पौधों के संरक्षण हेतु अपने वन विभाग की सीमा से लगभग 10 मीटर की दूरी से ही सुरक्षा प्रदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं परंतु जब वन विभाग जागरूक ना हो और कुछ कर्मचारियों की सांठगांठ हो तो ऐसे हालात में वन विभाग के आला अधिकारी भी नतमस्तक होकर वन संपदा की परवाह ना करते हुए चंद रुपयों के लिए रेत माफियाओं का साथ देने में पीछे नहीं हटते और अपने ईमान को बेच कर वन विभाग की भूमि से अवैध परिवहन करने की मंजूरी प्रदान कर देते हैं ऐसे हालात में जो वन संपदा एवं वन भूमि की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए प्रशासन के आला अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से क्यों भाग जाते हैं क्या इनके खिलाफ कोई उचित कदम प्रशासन को नहीं उठाना चाहिए l चांगोटोला क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत कुकड़ा से जानकारी अनुसार रेत घाट स्वीकृत हो चुका है और ठेकेदारों को प्रशासन द्वारा मंजूरी दे दी गई है रेत ठेकेदारों के द्वारा ट्रैक्टर के माध्यम से रेत निकाल कर ऊपरी स्तर पर डम्प कर परिवहन हेतु डम्फरो में भरकर कुकड़ा पंचायत गुडरु पंचायत से होते हुए वन संपदा की भूमि से मेन हाईवे होते हुए सीधे नैनपुर मंडला के लिए भिजवाया जा रहा है 2 जिले के दूरस्थ और वनांचल क्षेत्रो में जितने भी निर्माण कार्य हो रहे है उनमें पैसा बचाने के चक्कर में एजेंसियो और ठेकेदारो के द्वारा उसी क्षेत्र से बिना अनुमति के रेत, मिट्टी, मुरूम आदि का उत्खनन कर उपयोग में लाया जा रहा है। जिससे शासन को आर्थिक क्षति उठानी पड रही है और साथ ही साथ जंगलो के नदी नालो से उत्खनित गौण खनिजो से पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। इस तरह की जानकारी जिले के लांजी,बिरसा,बैहर, परसवाडा एवं किरनापुर विकासखंड के अंतर्गत हो रहे सडक और पुल पुलियो के निर्माण कार्यो में उपयोग किये जाने की मिल रही है। अभी हाल ही में संवाददाता द्वारा लांजी विकासखंड के देवरबेली ग्राम पंचायत के हर्राडी से केराडी नवनिर्मित सडक और पुल पुलियो का अवलोकन किया गया तो यह तमाम जानकारी देखने को मिली। जबकि पूर्व में भी छतिझोडी से टेमनी के बीच में स्थिल नालो पर नव निर्मित पुल पुलियो में उक्त गौण खनिजो का अनाधिकृत रूप से उपयोग किया जा चुका है। 3 कोरोनावायरस की महामारी से बचने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा निजी व सरकारी कोंचिंग संस्थानों को बंद रखने के निर्देश दिये गये है। लेकिन इस कोराना महामारी में लगातार लोगों के द्वारा शासन और प्रशासन की एडवाईजरी की धज्जियां लगातार उड़ाई जा रही हैं। शिकायत के बाद बालाघाट एसडीएम अक्षय तेम्रावाल ने कोचिंग संस्थान में छापा मारा और संस्थान को सील कर दिया है और कोचिंग संचालक के विरूध एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये गये है। 4 डेडीकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर गायखुरी, बालाघाट में भर्ती 8 कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 4 मरीजों को की रिपोर्ट आईसीएमआर जबलपुर से निगेटिव आने एवं पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है । यह मरीज लांजी तहसील के ग्राम भुरसाडोंगरी एवं बिसोनी के हैं। सीएमएचओ डॉ. मनोज पांडेय ने बताया कि अब कोविड हेल्थ सेंटर गायखुरी में कोरोना पॉजिटिव कुल 4 मरीज भर्ती हैं। इनमें लालबर्रा तहसील के ग्राम डोकरबंदी का एक मरीज, वारासिवनी के 2 मरीज एवं ग्राम गजपुर, पांजरा का एक मरीज शामिल है। बालाघाट जिले में अब तक कुल 15 मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं । इनमें से 11 मरीज ठीक होकर अपने घर वापस जा चुके हैं। 5 लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत आवेदक द्वारा चाही गई सेवाओं का लाभ आवेदक को तय समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराने पर कलेक्टर दीपक आर्य ने 9 अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि क्यों न उन पर 250 रुपये प्रतिदिन की दर से जुर्माना लगाया जाये और जुर्माने की यह राशि आवेदक को प्रदान की जाये। इन अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने कहा गया है। लोक सेवा गारंटी योजना के प्ररकणों की आनलाईन समीक्षा के दौरान पाया गया है कि वारासिवनी, कटंगी, किरनापुर एवं लांजी के तहसीलदार, कटंगी के अनुविभागीय अधिकारी, कटंगी के मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं किरनापुरए हट्टा एवं लांजी के नायब तहसीलदार द्वारा आवदकों को समय सीमा के भीतर चाही गई सेवायें का लाभ नहीं दिया गया है। 6 तिरोड़ी जोड़ सडक़ मार्ग के बीच ग्राम बोथवा में शुक्रवार को सुबह 4 बजे के करीब टायर से भरा ट्रक जो नागपुर से जबलपुर जा रहा था, अनियंत्रित होकर ग्राम बोथवा में सडक़ किनारे पलट गया। ज्ञात हो कि सिवनी से नागपुर मार्ग बंद होने के कारण नागपुर से खवासा होते हुए तिरोड़ी मार्ग से वाहनों का आवागमन बढ़ गया है, जिससे कि दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है अभी दो दिन पूर्व ही ग्राम नांदी में गिट्टी से भरा डंपर अनियंत्रित होकर पलट गया था, हालांकि उसमे भी डंपर चालक बाल बाल बच गया और किसी प्रकार के जान माल की हानि नहीं हुई। 7 आदिवासी अंचल परसवाङा के अन्तर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रो मे योजनाओं का लाभ देने के नाम पर आज भी जनप्रतिनिधियो द्वारा लगातार ग्रामीण हितग्राहियो को ठगा जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में किस तरह शासन कि योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम किया जा रहा है इसकी बानगी जनपद पंचायत परसवाड़ा अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सीताङोगरी मे देखा जा सकता है जहां उपसरपंच द्वारा आदिवासी ग्रामीणो के नाम से स्वीकृत कूप निर्माण को ठेके में करने के नाम से उनसे 30,000 की राशि लेकर कर उनके कुये को अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया गया है