राष्ट्रीय
07-Jan-2021

42 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों पर डटे किसान बृहस्पतिवार को केएमपी पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और पलवल से करीब 4500 हजार ट्रैक्टर मार्च के लिए किसानों के साथ रवाना होंगे। विरोध मार्च की तैयारियों में पूरे दिन सभी किसान संगठनों के साथ समूहों में बैठकों का दौर जारी रहा। 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का किसान, इसे रिहर्सल बता रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा), पंजाब के प्रदेश महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च के जरिये दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान सरकार के रवैये के खिलाफ अपना विरोध जताएंगे। राजधानी में लगातार चौथे दिन झमाझम बारिश का दौर जारी रहा। सुबह से शुरू हुई बारिश दोपहर तक विभिन्न इलाकों में रुक-रुक कर चली। इधर, बृहस्पतिवार से ठंड और कोहरे का सितम एक बार फिर शुरू होने जा रहा है। इसके बाद शुक्रवार की शाम भी बरसात की संभावना है। बुधवार सुबह से ही झमाझम बारिश का दौर शुरू हो गया था। खराब मौसम की वजह से सूर्यदेव दिनभर बादलों के पीछे छिपे रहे। इस कारण दिन में भी हल्की सर्दी महसूस की गई। दोपहर करीब 12 बजे हल्की धूप निकली, लेकिन ठंड से राहत नहीं मिली। गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार बाहरी राज्यों से आने वाले दर्शकों पर रोक लग सकती है। इसमें केवल दिल्लीवालों को ही शामिल होने की अनुमति देने का फैसला लिया जा सकता है। इसका कारण किसान आंदोलन है। गणतंत्र दिवस की तैयारियों को लेकर हुई पहली बैठक में यह मुद्दा उठा था कि ऐसा न हो, किसान टिकट खरीदकर 26 जनवरी की परेड में आ जाएं और नारेबाजी व हंगामा कर दें। इसके मद्देनजर किसानों को नई दिल्ली इलाके में आने से रोकने के लिए अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी गई है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रमों पर मंगलवार को राजपथ पर पहली बैठक हुई थी। इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में कोई मुख्य अतिथि नहीं होगा। कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन के बतौर अतिथि आने में असमर्थता जताने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। यह चौथा अवसर है, जब देश का गणतंत्र दिवस समारोह बिना मुख्य अतिथि के होगा। इससे पहले 1952, 1953 और 1966 में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए किसी को मुख्य अतिथि नहीं बनाया गया था। इसके अलावा तीन बार इस समारोह के दो-दो मुख्य अतिथि थे। जबकि दो वर्ष पूर्व 2018 में दस एशियाई देशों के शासनाध्यक्षों को समारोह का मुख्य अतिथि बनाया गया था। साल 1956, 1968 और 1974 में समारोह के दो-दो मुख्य अतिथि थे। नगालैंड की दजुको घाटी के जंगल में लगी और भड़क रही है और अब यह पड़ोसी राज्य मणिपुर की पहाडिय़ों की ओर फैल रही है। इस पर काबू पाने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को तैनात किया गया है। एनडीआरएफ ने कहा कि उसने नगालैंड के कोहिमा जिले और मणिपुर के सेनापति जिले के प्रभावित इलाकों में सात टीमों को तैनात किया है जोकि जंगल की आग पर काबू पाने में जुटे अग्निशमन विभाग की सहायता कर रही हैं। बता दें कि पर्यटन स्थल के लिए मशहूर दजुको घाटी के जंगल में 29 दिसंबर को आग लग गई थी। पिछले दो साल के दौरान देश में सुरक्षा बलों ने 460 नक्सलवादी उग्रवादियों को ढेर किया है, जबकि 2018 से 2020 तक के इसी अंतराल के दौरान सुरक्षा बलों के 161 जवानों ने नक्सली हमलों के दौरान अपनी ड्यूटी निभाते हुए शहादत दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) डिविजन ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है। दरअसल नोएडा के वकील व आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर ने गृह मंत्रालय से सूचना के अधिकार के तहत एक जानकारी मांगी थी। असम भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य बिश्वजीत दाईमारी का बेटा अमृतराज मंगलवार शाम से गायब है। वह कोकराझार के एक बोर्डिंग स्कूल में कक्षा 10 का छात्र था। पुलिस का मानना है कि उसका अपहरण राजनीतिक कारणों से भी किया जा सकता है। असम में अगले चार महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने हैं। बिश्वजीत बोडो पीपल्स फ्रंट के अग्रणी नेताओं में शुमार होते थे और वे डेढ़ महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। यह घटना असम के बदलते राजनीतिक समीकरणों का एक उदाहरण हो सकती है। आगामी चुनाव असमिया गौरव और हिंदू अस्मिता के बीच होने वाला है। इस बार ओडिशा की चिल्का झील में 11.42 लाख से अधिक पक्षियों का आगमन हुआ है। इसमें पक्षियों की 190 प्रजातियां हैं। चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगलवार को हुई पक्षियों की गणना से पता चला है कि इस साल 11.42 लाख से ज्यादा परिंदे आए हैं जबकि पिछले साल 11.04 लाख पक्षियों का आगमन हुआ था। सीडीए के मुख्य कार्याधिकारी सुशांत नंदा ने बताया, 2018-19 में 160 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने से आने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पक्षियों की संख्या से आद्र्र भूमि के पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति का पता चलता है।


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