क्षेत्रीय
24-Aug-2020

सीहोर स्थित गणेश मंदिर यू तो प्रदेश में ही नही अपितु देश भर में अपनी ख्याति के लिये ओर भक्तो की अटूट आस्था को लेकर पहचाना जाता है बताया जाता है कि मंदिर का निमार्ण विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् 155 में कराया था राजधानी भोपाल के सबसे करीब जिले सीहोर में भगवान चिंतामन सिद्ध गणेश का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी ख्याति देशभर में है। फिलहाल कोरोना के चलते मंदिर में सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है। यह मंदिर स्वयंभू गणेश प्रतिमा वाले देश के चार प्रमुख मंदिरों में शामिल है। विक्रमादित्य कालीन इस मंदिर में गणेश प्रतिमा आधी भूमि में धंसी हुई है। नाभि से शीश तक का हिस्सा ही ऊपर है। मंदिर के प्रबंधक पं. पृथ्वी वल्लभ दुबे बताते हैं कि मान्यता है कि उसी दौरान स्वप्न में गणेशजी ने राजा से कहा कि तुम पार्वती नदी में शिव-पार्वती के संगम स्थल पर जो सीवन नदी है वहां जाओ, मैं तुम्हें वहां कमल पुष्प में मिलूंगा। तब राजा ने ऐसा ही किया। वे नदी से प्राप्त कमल पुष्प को रथ पर ले जा रहे थे, तभी आकाशवाणी हुई कि रात ही में चाहे जहां तक ले चलो। सुबह जहां होगी, मैं वहीं रुक जाऊंगा। तब एक जगह रथ का पहिया फंस गया। काफी कोशिश के बाद भी पहिया नहीं निकला। सुबह होते ही कमल पुष्प मूर्ति में परिवर्तित हो गया। जब राजा ने प्रतिमा को उठाने का प्रयास किया ताे वह भूमि में धंसने लगी। जब आधी प्रतिमा अंदर धंस गई, तब राजा ने उसकी वहीं स्थापना कर दी। विक्रम संवत् 155 में मंदिर का निर्माण कराया गया। मंदिर श्रीयंत्र के कोणों पर स्थित है। तब इस कस्बे का नाम सिद्धपुर था।


खबरें और भी हैं