क्षेत्रीय
14-Jun-2020

जब पूरा देष सख्त लाॅक डाउन के कारण थम चुका था, सभी समाजों के लोगों की आय ठप हो चुकी थी। बाद में धीरे धीरे आम जरूरतो के लिए जिंदगी पटरी पर जैसे ही आनी शुरू हुई। वैसे ही निजी स्कूलों द्वारा आॅनलाइन षुल्क, ट्यूषन फीस, पैकेज फीस के नाम पर अभिभावको का दोहन करने की कोसिष भी शुरू हो गई। जब सरकार ने सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी कर दिए तो निजी स्कूलों ने उस आदेश के पालन में मांगी गई जानकारी को पैकेज फीस में समेट दिया। जबकि आम अभिभावक स्कूल बंद के दिनों की फीस माफ करवाने में लगा हुआ है तो उनका ध्यान डायवर्ट करने में लिए शाषन और निजी स्कूल सञ्चालक शिक्षन शुल्क में रसाकसी खेलने लगे। और जैसी भूमिका जिला शिक्षा विभाग निभा रहा है वैसे वे मात्र एक न्यूट्रल रेफरी की भांति नजर आ रहा है। शाशन और निजी स्कूल संचालकों के बीच अभिभावकों का पिसना तय है पर कब , यह आगे भविष्य के गर्त में है। सरकार ने एक आदेष जारी कर दिया कि निजी षिक्षण संस्थान सिर्फ ट्यूषन फीस लेंगे। पर यह स्पष्ट नहीं किया कि ट्यूषन फीस कितनी होगी। जिससे पूरी पैकेज का 75 प्रतिशत हिस्सा भी अभिभावकों को शिक्षन शुल्क के नाम पर उस समय का चुकाना पड़ सकता है जिस समय स्कूल पूरी तरह से बन्द रहे। यहाबता दे 99 प्रतिशत स्कूल मार्च तक का फूल पेमेंन्ट दिसम्बर तक ही करवा लेते है, और अब रही बात अप्रैल मई की तो, स्कुलो द्वारा इस समय की भी वसूली करने की कोशिश चल रही है। कुछ जागरूक अभिभावकों ने स्कूल बंद के दौरान फीस नही लेने के लिए पहल भी की। पर सायद इस मामले में साशन अधिक दखल नही देना चाहता और वह टयूशन फीस को ही मुख्य मसला मानकर मुद्दे का पटाक्षेप करवा देना चाह रहे है। जिसे अभी तक निपटाया नही जा सका। पिछले दिनों जिले के निजी विद्यालयों से जिला षिक्षा विभाग ने स्कूल फीस की मदवार जानकारी चाही लेकिन नामी गिरामी स्कूलों ने अपनी सालाना पैकेज की जानकारी दी। वैसे भी स्कूल कापी किताबों, गणवेष, व अन्य खर्चों के नाम पर अभिभावकों से जमकर वसूली करते हैं। जो कि वे अब तक बिना छूट मांगे देते आए हैं आज जब अभिभावकों को वास्तव में स्कूलांे से छूट की जरूरत है। उनके आय के साधन पूरी तरह से ठप हो चुके है उसमें स्कूल नये नये हथकंडे अपनाकर पैसे निकालने की कोसिस कर रहे हैं। पहले पुस्तकों की होम डिलीवरी के नाम पर तो आॅनलाइन पढाई के नाम पर नए ाषैक्षणिक सत्र की वसूली षषुरू हो गई। कुछ स्कलों ने दरियादिली दिखाई तो फीस कम करने की जगह और समय दे दिया। लेकिन लाॅक डाउन पीरियड की फीस लेने के लिए अब भी जद्दोजहद में लगे हुए है। नरंिसंहपुर रोड के एक स्कूल ने षासन की 30 जून तक के अवकाष के आदेष को भी दरकिनार करके षिक्षकों को प्रषिक्षण के नाम पर बुलाना षुरू कर दिया। निजी स्कूलों केा कई बार एनसीईआरटी की पुस्तकें चलाने के लिए निर्देष जारी हुए । केन्द्रीय विदयालय जेेसे संस्थान इन पुस्तकों को चला रहे है पर निजी स्कूलों अपनी स्कूलांे में निजी प्रकाषकों को खास दुकान से लेने के लिए प्रत्येक साल अभिभावकों को प्रेषर डालते हैं ; अभिभावक भी बच्चों के मामले में इमोषन के साथ उनके लिए अपनी गाढी मेहनत की कमाई देते आ रहे है। कुछ छोटे स्कूलों की छोड दे तो ऐसा भी नहीं है कि बडे स्कूल संचालकों के एकाउंट में पैसे खतम हो गए जिससे वे घर बैठे षिक्षकों को जरूरत की सैलरी भी न दे सकते हों पर मानवता का पाठ पढाने वाले यह स्कूल आज जरूरत पडी तो खुद ही मानवता का सबक भूल गए।


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