क्षेत्रीय
03-Dec-2019

एक तरफ जहां भोपाल जिला प्रशासन पर्यावरण को बचाने का संदेश देता है वहीं दूसरी ओर अब खुद प्रशासन की लापरवाही शहर के पर्यावरण व वन्य जीवों पर भारी पड़ सकती है। दरअसल, कलियासोत डैम से लगे बाघ विचरण क्षेत्र में 'भोपाल उत्सव मेला' लगाने की तैयारी चल रही है। मेले का आयोजन जलीय जीवों, पर्यावरण, भोपाल मास्टर प्लान 2005 के प्रावधानों और बाघों से संबंधित नियमों को ताक पर रख कर किया जा रहा है। साथ ही कलियासोत डैम के आसपास बाघ विचरण क्षेत्र है। ऐसे स्थल पर मेले का आयोजन पर्यावरण प्रोटेक्शन एक्ट का उल्लंघन है। खुशीलाल आयुर्वेद अस्पताल के पास जिस भूमि पर मेले का आयोजन किया जा रहा है, वह बाघ विचरण वन क्षेत्र से एक किमी एरियल डिस्टेंस से कम है। यह वन जीव संरक्षण के कानून का उल्लंघन है। मेले की तेज रोशनी और ध्वनि प्रदूषण वन्यजीवों के लिए काफी घातक है। कलियासोत डैम से मेला स्थल सटे होने के कारण यहां प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से भी अनुमति लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई। वहीं, दूसरी ओर, मेला स्थल से सटकर खुशीलाल आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी अस्पताल है। एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार किसी भी अस्पताल से लगे ग्राउंड पर ऐसे आयोजन नहीं किए जा सकते हैं। जबकि, वहीं , भोपाल मास्टर प्लान 2005 में प्रावधान किया गया है कि कलियासोत डैम के चारों ओर 200 मीटर क्षेत्र औषधीय वृक्षों के लिए सुरक्षित रहेगा। जबकि मेला स्थल डैम से 200 मीटर क्षेत्र के अंदर ही आ रहा है। इतना सब होने के बावजूद जिला प्रशासन आंख बंद कर बैठा हुआ है और मेला समिती मेले के आयोजन में जुटी हुई है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस ओर कोई ध्यान देता भी है कि नहीं ।


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