क्षेत्रीय
16-Aug-2020

दिगंबर जैन समाज के पंडित रतन लाल जी बैनाड़ा का रविवार की सुबह परलोक गमन हो गया। पंडित रतनलाल बैनाड़ा के ऊपर मां लक्ष्मी और मां सरस्वती की समान रूप से कृपा थी। परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के सानिध्य में उन्होंने जैन धर्म के गूढ़ रहस्यों को, ना केवल समझा, बल्कि उनका चिंतन भी किया। उसके बाद गुरु आज्ञा से वह देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर धर्म प्रभावना का कार्य करने लगे। पिछले कई वर्षों से वह अपने समय का उपयोग जिनवाणी ज्ञान के प्रचार प्रसार, शिविर लगाने एवं जैन साहित्य को तैयार कर उसे हर उम्र के लोगों के अनुसार उपलब्ध कराने का काम कर रहे थे। लोगों के ज्ञान और चिंतन की बिपाशा को शांत करने का काम, उन्होंने अपने अंतिम समय तक किया। गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी उन्होंने साधु संतों की तरह न्यूनतम जरूरतों के साथ जीवन का निर्वाह किया। जैन धर्म के 3 सिद्धांत सम्यक दर्शन,सम्यक ज्ञान और समय चारित्र का उन्होंने अपने अंतिम समय तक स्वयं पालन करके, एक ऐसा अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। जो ग्रहस्थ जीवन में रहते हुए अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। विभिन्न राज्यों में जाकर उन्होंने छोटे बड़े सभी शहरों में शिविर लगाए।लोगों को जैन कुल,जैन धर्म में जन्म लेने के संयोग और सार्थकता का परिचय कराते हुए, लाखों लोगों के जीवन संवारने का काम किया है।पिछले कई वर्षों से वह अपना व्यवसाय एवं घर छोड़कर केवल धर्म के प्रचार प्रसार में ही अपना समय व्यतीत कर रहे थे। पूर्ण रूप से जिनवाणी ,मां सरस्वती की सेवा में रहते हुए उन्होंने अपनी देह त्यागी है। पिछले 2 सप्ताह से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था।वह गुरु चरणों में जाकर सल्लेखना लेना चाहते थे।किंतु डॉक्टरों ने उन्हें नहीं जाने दिया। जब उन्हें लगा कि उनका जीवन अब शेष नहीं रहा, तो उन्होंने स्वयं व्रत धारण करते हुए अन्न, जल और सभी कषायों का त्याग करते हुए,णमोकार मंत्र की आराधना करते हुए पूरे होशो हवास में परलोक गमन की यात्रा शुरू की है। पंडित रतनलाल बैनाड़ा के परलोक गमन की खबर से, दिगंबर जैन समाज में शोक की लहर छा गई। जगह जगह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से उन्होंने धर्म प्रभावना के लिए अपने स्वयं के संसाधनों एवं धन का उपयोग करते हुए धर्म प्रभावना की है।वहीं अपना जीवन स्वयं मोक्ष मार्ग की ओर ले जाने के लिए जैन दिगंबर


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