कोरोना संक्रमण की विश्वव्यापी महामारी में सारी दुनिया के देशों में अफरा तफरी मची हुई है।भारत में भी 1 महीने से अधिक समय हो गया। करोड़ों लोग घरों में कैद हैं।करोड़ों मजदूर और कामगार बेरोजगार हो गए हैं। लाखों मजदूर बड़े-बड़े शहरों और महानगरों से निकलकर पैदल ही अपने घरों को जा रहे हैं। लोगों को दो टाइम का भोजन भी उपलब्ध नही हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में सत्ता में बैठे नेताओं और अधिकारियों ने कोरोनावायरस को ही अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। कोरोना संक्रमण उनके लिए एक आपदा नहीं balki कमाई का एक मौका ban gaya है। जिसमें वह आपदा के नाम पर लाखों - करोड़ों रुपए की अपनी अपनी हैसियत के अनुसार रोजना कमाई करने में लग गए हैं। कोरोनावायरस जैसी जांच के लिए जो किट अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उसकी सेंट्रल परचेजिंग करके करोड़ों रुपए का वारा न्यारा नेताओं और अधिकारियों ने किया। देश में कोरोना संक्रमण की जांच करने के लिए रैपिड टेस्ट किट को भारत सरकार ने खरीदने के ऑर्डर दिया। 12 करोड़ 25 लाख रुपए की 5 लाख रैपिड टेस्ट किट मय जीएसटी के चीन से आयात की गई। आयातक ने 245 रूपया प्रति टेस्ट किट के हिसाब से खरीदी थी।सरकार ने आयात करने का ठेका रियल मेटाबॉलिक्स कंपनी को दिया था। इस कंपनी ने रैपिड टेस्ट किट को आयात करने के बाद एक अन्य कंपनी को 21 करोड़ रुपए में 5 लाख किट बेच दीं। दूसरी कंपनी ने आईसीएमआर को 30 करोड़ रुपए में 600 रुपया प्रति किट के हिसाब से सप्लाई कर दीं। 12 करोड़ रुपए की रैपिड टेस्ट किट को सरकार ने 30 करोड़ रुपए में खरीदा। यह सारा खेल 1 सप्ताह के अंदर हो गया। जिस कंपनी को कोविड-19 रैपिड टेस्ट किट को आयात करने की मंजूरी दी गई। वह गुजरात की कंपनी बताई जा रही है। आईसीएमआर ने सीधे आयातित किट की खरीदी ना करके डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से किट की खरीदी की।जिसके कारण ढाई गुना ज्यादा कीमत भारत सरकार को चुकानी पड़ी। कोविड-19 रेपिड टेस्ट किट चीन से आयात की गई थी। जांच में इसके परिणाम ठीक नहीं आए,तो सबसे पहले राजस्थान सरकार ने इसका विरोध किया। उसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने रैपिड टेस्ट किट का विरोध किया।इसी बीच तमिलनाडु सरकार ने एक अन्य कंपनी से 50,000 टेस्ट किट 400 रुपए प्रति किट के हिसाब से खरीदी।उसके बाद आयातक और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच झगड़ा शुरू हुआ। यह विवाद दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया। दिल्ली हाई कोर्ट में जब इस मामले की सुनवाई हुई।तब एक-एक करके प्याज के छिलके की तरह मामले की परतें खुलना शुरू हुई। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने आयातक और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच झगड़े में सभी दस्तावेजों को देखा। न्यायमूर्ति ने 245 रुपए की रैपिड टेस्ट किट,सरकार को 600 रूपये में सप्लाई किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, कोरोनावायरस के संक्रमण से जब सारे देश में अव्यवस्था फैली है। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। देश की अर्थव्यवस्था खराब है। ऐसे समय पर रैपिड टेस्ट किट की सप्लाई ढाई गुना कीमत पर किये जाने को अमानवीय बताया। हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्ट किट की कीमत 600 रुपये से घटाकर 400 रुपये करने के आदेश कंपनी को दिए। आयातक और डिस्ट्रीब्यूटर के बीच में भुगतान को लेकर जो विवाद हुआ था। उसके कारण करोड़ों रुपए की लूटपाट का यह मामला उजागर हुआ।