दिल्ली में मंगलवार को ट्रैक्टर परेड निकाल रहे किसानों की भीड़ पुलिस की ओर से तय किए गए रूट से बाहर निकलकर लाल किले तक पहुंच गई। ये किसान सिंघु बॉर्डर से आए थे। हिंसक भीड़ ने यहां तैनात पुलिसवालों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। जान बचाने के चक्कर में कई जवान 15 फीट ऊंची दीवार से गिर गए। तो कईयों को हमलावरों से बचने के लिए कूदना पड़ा। इसका एक वीडियो सामने आया है। इस घटना में 41 पुलिसवाले घायल हो गए। वहीं, दिल्ली में मंगलवार की हिंसा में कुल 86 पुलिसकर्मी घायल हुए। दोपहर करीब 2 बजे हजारों किसान मेन गेट से लाल किले के अंदर घुस गए। उन्होंने अंदर तोडफोड़ तो की ही, किले की प्राचीर पर चढ़कर धार्मिक ध्वज निशान साहिब और किसानों का झंडा लगा दिया। कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुए उपद्रव पर पुलिस लगातार एक्शन में है। हिंसा और तोडफोड़ की घटनाओं पर अब तक 22 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। उपद्रवियों की पहचान के लिए पुलिस फुटेज की जांच कर रही है। लाल किले और सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कश्मीर में इस साल सर्दियों ने तीस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है और बर्फबारी ने पिछले दस सालों का। श्रीनगर में 26 जनवरी भी चार से पांच फीट बर्फबारी और -2.4 डिग्री के बीच मनाई गई। दक्षिण कश्मीर से लेकर मध्य कश्मीर तक भारी बर्फबारी हुई है। ऐसी कड़कड़ाती ठंड कश्मीर के लोगों के डेली रूटीन पर भी असर डालती है। दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के पीछे सिख फॉर जस्टिस यानी स्स्नछ्व का हाथ बताया जा रहा है। पंजाब के लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने इस संगठन की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा के पीछे सिख फॉर जस्टिस संगठन का हाथ है। उसी ने पूरी साजिश रची। आंदोलन कर रहे किसानों से कोई हिंसा नहीं की है। उन्होंने घटना की जांच नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी से कराने की मांग की है। मुंबई के एक विधि छात्र ने मंगलवार को देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि गणतंत्र दिवस के दिन किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले में हुई हिंसा का वह स्वतरू संज्ञान लें। मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र आशीष राय द्वारा लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि ट्रैक्टर परेड के दौरान श्कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा आतंक फैलाया गय