क्षेत्रीय
03-Aug-2020

बालाघाट जिले को भगवान श्रीराम के आगमन के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं भगवान श्रीराम के क्रोधित रुप की प्रतिमा और मां सीता को अभयदान देने रुपी कालेपत्थर की वनवासी रुपी प्रतिमा के विराजमान होने के साथ ही एक पत्थर पर पग के निशान है, जो भगवान के वनवास के दिनों में बालाघाट में भ्रमण को दर्शाती है। ऐसे में अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि पर होने वाला पांच अगस्त का अगस्त का भूमिपूजन बालाघाट वासियों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके लिए घर-घर में दीपक जलाकर विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित कर इस उत्सव को मनाया जाएगा। अंग्रेजी गजेटियर के अनुसार रामपायली में ऋषि शरभंग का आश्रम था। जिसमे प्रभु श्रीराम सीता माता के साथ उनके दर्शन करने पहुंचे थे। लेकिन दर्शन करने के पहले ही रामपायली से कुछ दूर स्थित गांव देवगांव में विराध नामक राक्षस सामने आ गया था जिसका वध कर उन्होंने ऋषि के दर्शन प्राप्त किए थे। हालांकि इस दौरान सीता माता राक्षस के सामने आने से भयभीत हो गई थी जिसके चलते भगवान ने विकराल रुप धारण कर सीताजी के सिर पर हाथ रख अभयदान दिया था। इसी रुप में रामपायली मंदिर में बालाजी व माता सीता की वनवासी प्रतिमा विराजमान हैं। रामपायली और उसके आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के बीच खुशी का माहौल है की अयोध्या में जन्मे प्रभु श्रीराम से उनका भी सीधा वास्ता है कारण वनवास के दौरान उनके पावन चरण बालाघाट के जमीन पर पड़े थे। इसके लिए पांच अगस्त को होने वाले भूमिपूजन के लिए यहां के लोगों में उत्साह भरा हुआ है। मंदिर को जहां पांच अगस्त को अंदर बाहर दीपों से रौशन किया जाएगा


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