क्षेत्रीय
01-Nov-2020

ट्रेक्टरों को विकास का योगदान आज 70 प्रतिशत कहा जा सकता है। आज के दौरन में ग्रामीण विकास में सबसे अधिक इन्हीं ट्रेक्टरों का योगदान है। जिले में किसानों को ट्रेक्टर उपलब्ध कराने के लिए सहायक कृषि यंत्री कृषि अभियांत्रिकी उपसंभाग कार्यालय है, जहंा मौजूद दस ट्रेक्टर कभी जिले भर के ट्रेक्टर विहीन किसानों की जान होते थे। इन ट्रेक्टरों को किसान किराए से ले जाकर जुताई-बुवाई करते थे। लेकिन आज इन ट्रेक्टरों की पूछ परख बिल्कुल कम हो गई है जिसका मुख्य कारण किराए के ट्रेक्टर की लागत बढऩा है।पहले तो सरकार ने खुद ही अपनी योजनाओं और अनुदान के माध्यम से 88 ऐसे निजी ट्रेक्टर यूनिट खुलवा दिए हैं जहां से किसान अब ट्रेक्टर उठा लेते हैं दूसरा सबसे महत्वूपूर्ण कारण ट्रेक्टर यूनिट का किराया है। जिससे कुसमेली कृषि उपज मंडी में बने ट्रेक्टर यूनिट की ओर अब किसान कम ही रूख करते हैं। उधार के कार्यालय में चल रहे इस कृषि अभियांत्रिकी से किसान ६२५ रुपए प्रति घंटे ट्रेक्टर किराए से लेते थे उन्हे सिर्फ यही खर्च लगता था। यह किराया ड्राइवर डीजल सहित होता था जोकि खेत में जुताई करने के दौरान शुरू होता था। लेकिन नए नियम के अनुसार अब ट्रेक्टर यूनिट से गांव तक ले जाने का चार्ज भी 18 रुपए प्रति किमी के हिसाब से लिया जाने लगा। जिसके बाद से किसानों को ट्रेक्टर यूनिट से मोह भंग हो गया।खरीफ की फसल के समय की बात करेंं तो इस यूनिट से करीब 200 किसानों ने ही ट्रेक्टर उठाया। ट्रेक्टर यूनिट में मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि शहर से दूर हो जाने के कारण किसानों के द्वारा ट्रेक्टर किराए से कम लिया जा रहा है।


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